डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
एक मामूली गुण्डे विकास दुबे को राजनैतिक संरक्षण देकर इन्ही नेताओं ने गैगेस्टर बना दिया जिसका हौसला इतना बढ़ा कि पुलिस थाने में घुसकर दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री की दिनदहाड़े हत्या और कोई गवाह नहीं मिला ,इसी तरह से छोटी-बड़ी विभिन्न हत्याएं, विकास दुबे का आपराधिक कद और हौसला दोनों बढता गया, बसपा, सपा से होते हुए वह भारतीय जनता पार्टी का सक्रिय सदस्य है मुख्यमंत्री जी के साथ तस्वीर यही तस्दीक कर रही है, पुलिस महकमे की गद्दारी ने अपने ही साथियों को मौत के मुहं में धकेल दिया, अब सरकार की ला एण्ड आर्डर की पोल खुल गई! जाबांज पुलिस कर्मियों का बहा खून सैलाब बन जाना चाहिए था, लेकिन अब समाज को सुरक्षित रखने का विश्वास दिलाने वाले खुद खतरे में हैं, तो आमजन की सुरक्षा का क्या❓ विकास दुबे को जमीन खा गयी या आसमां निगल गया, अब शासन- प्रसाशन मिलकर विकास दुबे को ढूंढ रहे हैं , लेकिन अभी तक मिला नहीं परन्तु कुछ अहम सुराग हाथ लगा जैसे विकास दुबे के काल डिटेल से पंद्रह से ज्यादा पुलिस कर्मियों के मोबाइल नंबर, विकास दुबे का नौकर, औरैया के पास मिली लावारिस ईकोस्पोर्ट कार यूपी 32 जी एल 9252 जो अमित तिवारी के नाम से पंजीकृत है, अब आगे देखिये कहाँ तक पहुंचती है बात..
विरंजय
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