बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
एक मामूली गुण्डे विकास दुबे को राजनैतिक संरक्षण देकर इन्ही नेताओं ने गैगेस्टर बना दिया जिसका हौसला इतना बढ़ा कि पुलिस थाने में घुसकर दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री की दिनदहाड़े हत्या और कोई गवाह नहीं मिला ,इसी तरह से छोटी-बड़ी विभिन्न हत्याएं, विकास दुबे का आपराधिक कद और हौसला दोनों बढता गया, बसपा, सपा से होते हुए वह भारतीय जनता पार्टी का सक्रिय सदस्य है मुख्यमंत्री जी के साथ तस्वीर यही तस्दीक कर रही है, पुलिस महकमे की गद्दारी ने अपने ही साथियों को मौत के मुहं में धकेल दिया, अब सरकार की ला एण्ड आर्डर की पोल खुल गई! जाबांज पुलिस कर्मियों का बहा खून सैलाब बन जाना चाहिए था, लेकिन अब समाज को सुरक्षित रखने का विश्वास दिलाने वाले खुद खतरे में हैं, तो आमजन की सुरक्षा का क्या❓ विकास दुबे को जमीन खा गयी या आसमां निगल गया, अब शासन- प्रसाशन मिलकर विकास दुबे को ढूंढ रहे हैं , लेकिन अभी तक मिला नहीं परन्तु कुछ अहम सुराग हाथ लगा जैसे विकास दुबे के काल डिटेल से पंद्रह से ज्यादा पुलिस कर्मियों के मोबाइल नंबर, विकास दुबे का नौकर, औरैया के पास मिली लावारिस ईकोस्पोर्ट कार यूपी 32 जी एल 9252 जो अमित तिवारी के नाम से पंजीकृत है, अब आगे देखिये कहाँ तक पहुंचती है बात..
विरंजय
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