स्कूल" स्कूलों का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...
विकास दुबे की कहानी जानकारों की जुबानी
1992 में विकास ने एक दलित की हत्या कर दी लेकिन नेताओं के सरंक्षण की वजह से कुछ न हुआ। विकास के प्रगाढ़ सम्बन्ध बसपा नेता राजाराम पाल और भगवती सागर से भी थे। उस समय लूट और हत्या का पर्याय बने विकास के एनकाउंटर की पूरी तैयारी पुलिस ने कर ली थी,लेकिन राजनेताओं ने भीड़ के साथ कल्याणपुर थाने का घेराव कर विकास को बचा लिया।
2001 में विकास ने शिवली थाने में पुलिस वालों के सामने ही दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या कर दी। उस समय प्रदेश और केंद्र दोनो जगह बीजेपी सरकारें थी। बाद में पुलिस की कमजोर चार्जशीट और गवाहों के मुकरने पर विकास 2005 में इस मर्डर केस से बरी कर दिया गया। बरी करने वाले जज एच एम अंसारी अगले ही दिन सेवानिवृत्त हो गए थे। तत्कालीन बसपा बसपा सरकार कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट तक न गयी। इससे बसपा सरकार में विकास की पैठ साबित होती है।
2002 में ही विकास ने जेल में रहते हुए शिवली के पूर्व चेयरमैन लल्लन बाजपेई पर जानलेवा हमला करवाया जिसमे वह घायल हुए और उनके 3 साथी मौके पर ही मारे गए। विकास के नाम एफआईआर दर्ज करवाई गई लेकिन पुलिस ने विकास का नाम चार्जशीट से हटा दिया।
भाजपा सरकार में मंत्री रही प्रेमलता कटियार और बसपा के कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर भी विकास को संरक्षण देने के आरोप लगे थे। इस समय भी विकास दूबे की फोटो प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक के साथ वायरल है।
सभी तथ्य हिंदी अखबार नवभारत टाइम्स तथा अन्य स्रोतों से एकत्र किए गए हैं। हत्यारे विकास दूबे का समाजवादी पार्टी से कोई कनेक्शन नही मिला है। इस जघन्य कांड से कानून व्यवस्था के मुद्दे पर कटघरे में खड़ी यूपी की बीजेपी सरकार को बचाने के लिए बीजेपी आईटी सेल द्वारा एक फोटोशॉप तस्वीर से उसे सपा नेता बताने की साजिश ठीक उसी तरह है जैसे दो चैनलो द्वारा विकास दूबे को विकास यादव कहना या फिर जनसत्ता न्यूज पोर्टल द्वारा विकास यादव छाप देना। जनता सब समझती है। फिलहाल यूपी में चिलम छाप बम बम की मौज है और जनता जंगलराज और मंगलराज का फर्क महसूस कर रही है। यूपी की कानून व्यवस्था की पोल खोलने के लिए नेशनल क्राइम ब्यूरो के मौजूदा आंकड़े गवाह हैं। पिछली सरकार से तुलना कर लीजिएगा।
प्रमोद यादव
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